ख्वाबों को हकीकत में बदल कर तो देख पिंजरे की सलाखों में है उड़ने की रह भी गुलामी को बगावत में बदल कर तो देख खुद -बी -खुद हल होंगी जिंदगी की मुश्किलें बस ख़ामोशी को सवालों में बदल कर तो देख चट्टाने भी टूटेंगी इन्ही हाथों के भरोसे अपनी आरज़ू को इबादत में बदल कर तो देख अँधेरी राहों में चमकेगी सूरज की रौशनी अंगूठे को दस्तखत में बदल कर तो देख होंसला कम ना होगा तेरा तूफ़ान के सामने म्हणत को इबादत में बदल कर तो देख क़दमों के टेल खुद होंगी मंजिलें तेरी मेरी बातों को नसीहत में बदल कर तो देख बस एक बार ज़िन्दगी में प्यार करके देख प्यार की पाकीजगी को इबादत बना के देख
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